The Ultimate Guide To bhairav kavach
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मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा
इदं कवचमज्ञात्वा काल (काली) यो भजते नरः ।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्डभैरवः
ವಿಚರನ್ ಯತ್ರ ಕುತ್ರಾಪಿ ವಿಘ್ನೌಘೈಃ ಪ್ರಾಪ್ಯತೇ ನ ಸಃ
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
नैऋत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे
विद्यार्थियों को परीक्षा में निश्चित ही सफलता मिलती है।
बटुक भैरव कवच get more info का व्याख्यान स्वयं महादेव ने किया है। जो इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, वह सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करता है।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ॥
प्रवक्ष्यामि समासेन चतुर्वर्गप्रसिद्धये ॥ ६॥
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